NATIONAL FOOD SECURITY ACT,2013 FULL TEXT

रोजी रोटी अधिकार अभियान ने खाद्य सुरछा अध्यादेश में संशोधन की मांग की.

राष्ट्रीय खाद्य सुरछा अध्यादेश में संशोधन की मांग  को लेकर अलग  अलग  सगठनों से जुड़े और अनेक राज्यों से आये लगभग 800 लोगों ने जंतर मंतर,दिल्ली  पर एक बड़े धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया। देश के विभिन्न राज्यों मध्य प्रदेश,राजस्थान,बिहार ,गुजरात,आसाम, जम्मू ,ओड़िशा ,महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल और दिल्ली  से आये किसान,बाल अधिकार से जुड़े सामजिक कार्यकर्ता,नरेगा मजदूर,महिला,दलित और आदिवासी संगठनों  के प्रतिनिधियों ने यह महसूस किया कि पिछले चार साल से  एक व्यापक खाद्य सुरछा कानून के लिए किया जा रहा संघर्ष एक कानून का रूप ले रहा है.वे इस बात से उत्साहित थे कि खाद्य सुरछा अध्यादेश  को आज लोक सभा में रख दिया गया.एक मजबूत खाद्य सुरछा  कानून के लिए चर्चा और बहस का यह पहला कदम है
  

विभिन्न राजनीतिक दलों से आए सासदों  ने भी  अभियान की मांगों का समर्थन किया। सी पी आई(एम) से श्री बासुदेब आचार्य और राजेश जी ,सी.पी.आई से श्री प्रबोध पांडा और डी राजा ,और जनता दल (यु ) से श्री अली अनवर तथा भाजपा से श्री प्रकाश जावडेकर ने धरना में अपनी बातों को रखा.सभी सांसदों ने ये कहा कि वे संसद में प्रस्तुत खाद्य सुरछा विधेयक का स्वागत करते हैं, क्योंकि सभी के लिए खाद्य सुरछा समय की मांग है, पर यह विधेयक खाद्य सुरछा के नाम पर मजाक है। सभी सांसद इस बात पर एकमत थें कि विधेयक  समुचित नहीं है, क्योंकि  इसमें  मात्र 5  किलोग्राम खाद्यान प्रति व्यक्ति, प्रति महीने का प्रावधान है.जिसमे पोषण की कोई बात नहीं कही गयी है,इसमें दाल और खाद्य तेल शामिल नहीं है,और देश की 33% आबादी को बाहर रखकर यह ए पी एल/बी पी एल के सिद्धांत को ही कायम  रखता है.

कानून को सार्वभौमिक करने की बात को सभी सांसदों ने दुहराया। इसके अलावा सांसदों ने अध्यादेश के अनुसूची 2 पर भी चिंता जताया जिसमें बच्चों को भोजन मुहय्या कराने में  ठेकेदारों के प्रवेश लिए रास्ता खोल दिया गया है. वे  इस बात से भी चकित थें कि अध्यादेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरछा विधेयक के अध्याय एक और दो को हटा दिया गया है और इस तरह प्रवासी,बेघरों,असहाय इत्यादी  को  बाहर कर दिया गया है. तमिलनाडु के सामुदायिक रसोई कार्यक्रम  की काफी प्रशंसा की गयी और कहा गया कि खाद्य सुरछा कानून में इसे पात्रता के रूप में शामिल करना  अत्यंत ही आवश्यक है.सांसद  इस बात से काफी निराशा थें कि संसद की  कार्यवाही गभीरता से नहीं चल पा रही है. और वे  इस बात से भी  आश्वत नहीं  थे कि सरकार विधेयक को पारित कराने के लिए गंभीर है.उन्होंने अभियान की इस माग का भी समर्थन  किया कि विधेयक को खाद्यान के  उत्पादन,खरीद और भंडारण से जोड़ने की आवश्यकता है. राजनीतिक दलों  ने हमें यह  आश्वासन  दिया कि वे हमारे प्रस्तावित  संशोधन को संसद में रखेंगे।

अभियान के सदस्यों ने खाद्य सुरछा अध्यादेश खामियां और मांगों को प्रस्तुत किया। धरना में आये लोगों ने संतोष को श्रधांजली दी.एक गाडी द्वारा टक्कर से हुई दुर्घटना के लगभग एक महीने  बाद  आज सुबह संतोष की मौत हो गयी.संतोष दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान एक जोशीली कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती थी  वह आम आदमी पार्टी की सदस्य भी थी   

धरना में  निखिल डे,हर्ष मंदर,अशोक खंडेलवाल, रीतिका खेरा,उषा रामनाथन,विल्सन बेज्वाड़ा,उमा शंकर और कई अन्य  सामजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

राष्ट्रीय खाद्य सुरछा अध्यादेश में निम्नलीखित  खामियां हैं:

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस)

1.यह लगातार लक्षित पीडीएस के साथ है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ लेने वाली 33 प्रतिशत जनसंख्‍या को बाहर करने वाला है। समग्र रूप से यह देश में गरीबों की पहचान में गलतियों और एक बड़े वंचित तबके को पीडीएस से बाहर रखने का मौका देता है। हम सर्वव्‍यापी राशन व्यवस्था  चाहते हैं।

2. अध्‍यादेश में प्रति व्‍यक्‍ति सिर्फ पांच किलो अनाज देने का प्रावधान है। इस प्रकार प्रति व्‍यक्‍ति प्रतिदिन सिर्फ 166 ग्राम अनाज ही उपलब्‍ध हो पाएगा, जो कि दो बार के खाने के हिसाब से बमुश्‍किल पर्याप्‍त है। भारतीय चिकित्‍सा सर्वेक्षण परिषद ने वयस्‍क के लिए 14 और 12 साल से कम उम्र के बच्‍चे के लिए 7 किलो अनाज की सिफारिश की है। हम प्रति व्‍यक्‍ति प्रतिमाह 10 किलो अनाज उपलब्‍ध कराने की मांग करते हैं।

3. खाद्य सुरक्षा विधेयक सिर्फ अनाज उपलब्‍ध कराने की बात करता है। कुपोषण से निपटने के लिए दाल और खाद्य तेल उपलब्‍ध कराने जैसे प्रावधान उसमें नहीं हैं। राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक (एनएफएसए) में कम से कम 2.5 किलोग्राम दाल और 900 ग्राम तेल प्रति व्‍यक्‍ति, प्रति माह उपलब्‍ध कराने की गारंटी होनी चाहिए।

4. अध्यादेश  की अनुसूची 1 में पात्र परिवारों को एक रुपए प्रति किलो में बाजरा, 2 रुपए प्रति किलो में गेहूं और 3 रुपए प्रति किलो में चावल रियायती दरों के हिसाब से उपलब्‍ध कराने का प्रावधान है। लेकिन सिर्फ 3 साल के लिए। इसके बाद अनाज के दाम को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य तक बढ़ा दिया जाएगा। अनाज की इन दरों को कम से कम एक दशक तक यथावत बनाए रखा जाना चाहिए, उसके बाद ही दाम में परिवर्तन किए जाएं।

5. देश की 60 फीसदी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद विधेयक में किसानों के लिए उत्‍पादन से जुड़ी कोई भी हकदारी प्रदान नहीं की गई है। हम कानून  में ही किसानों के लिए आय की गारंटी और ज्‍यादा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को कानूनी हकदारी बनाने की मांग करते हैं।

6. अध्यादेश  पिछले दरवाले से अनाज के बदले नकद राशि के हस्‍तांतरण का रास्‍ता खोलता है। अनाज उपलब्‍ध नहीं होने पर खाद्य सुरक्षा भत्‍ते के रूप में अनाज के बदले नकद राशि देने और पीडीएस में सुधार के हिस्‍से के रूप में नकद राशि के हस्‍तांतरण की अनुमति भी दी गई है। हम विधेयक में यूआईडी-आधार की अनिवार्यता की धारा और नकद राशि के हस्‍तांतरण को हटाने की मांग करते हैं।

बच्‍चों के भोजन का अधिकार :

7.अध्यादेश में खासतौर पर एकीकृत बाल विकास योजना के तहत भोजन आपूर्ति में निजी ठेकेदारों और व्‍यावसायिक हितों को साधने का रास्‍ता खोला गया है, क्‍योंकि इसमें खाद्य सुरक्षा कानूनों और सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों के मापदंडों को लागू करने पर जोर दिया गया है। (अनुसूची 2 का नोट)। इसे हटाया जाना चाहिए। इसकी जगह निजी ठेकेदारों के प्रवेश को रोकने वाली एक स्‍पष्‍ट अनुसूची इसमें जोड़ी जाए, साथ ही अनाज के स्‍थानीय उत्‍पादन और वितरण को विकेंद्रीकृत किया जाए।

मातृत्‍व अधिकार :

8. अध्यादेश में अभी यह साफ नहीं है कि क्‍या दो बच्‍चों के मापदंड की शर्त के साथ के बावजूद सर्वव्‍यापी मातृत्‍व अधिकारों को जारी रखा जाएगा। इस शर्त में दो से ज्‍यादा बच्‍चे होने पर दंडित करने और मां को उसके मूलभूत अधिकारों से वंचित करने की बात कही गई है।

कमजोर तबकों के अधिकार :

9. इसमें आबादी के सबसे कमजोर तबकों को किसी तरह की विशेष हकदारी देने का कोई प्रावधान नहीं है। हम मांग करते हैं कि सभी बुजुर्ग व्‍यक्‍तियों,बेसहारा , एकल महिला, बेघरों, प्रवासी और परित्‍यक्‍त लोगों को सामुदायिक किचन या बेघरों के लिए किसी अन्‍य उपाय से अनाज उपलब्‍ध करवाकर उन्‍हें कवरेज के दायरे में लाया जाए, क्‍योंकि यह कमजोर तबका भुखमरी का अक्‍सर शिकार होता है।

10. भूख और भुखमरी की निगरानी का एक प्रोटोकॉल इस कानून  का हिस्‍सा होना चाहिए।

11. सभी तरह की हकदारियों को सहज हस्‍तांतरणीय बनाना होगा, ताकि कोई भी कमजोर व्‍यक्‍ति खाद्य अधिकार से वंचित न रहे।

शिकायत निवारण प्रणाली

12 .विधेयक में शिकायत निवारण के लिए कोई मजबूत प्रणाली नहीं है। विधेयक के प्रभावी होने पर एक सशक्‍त, विकेंद्रीकृत और स्‍वतंत्र शिकायत निवारण प्रणाली की जरूरत होगी, जिसमें पंचायती और तहसील स्‍तर के शिकायत निवारण अधिकारियों को शामिल करते हुए उन्‍हें शक्‍तियां प्रदान की जाएं, ताकि वे गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई कर सकें।