NATIONAL FOOD SECURITY ACT,2013 FULL TEXT

नकद हस्तांतरण लाएगा तबाही


by Reyaz-ul-haque 



कुछ समय पहले शुरू की गई सब्सिडियों के नकद हस्तांतरण की योजना और आधार के अनुभवों के बारे में बता रहे हैं पत्रकार प्रफुल्ल बिदवई.

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग ) सरकार आधार यूनीक पहचान (यूआईडी) के आधार पर नकद हस्तांतरण की विशाल परियोजना शुरू करने जा रही है जिसका मकसद लोगों तक सार्वजनिक सेवाओं को सीधे पहुंचाना है। इस परियोजना को सरकार देश के 51 जिलों में नए साल के पहले दिन से चलाने की जल्दी में है जिसके अंर्तगत वृध्दावस्था और विधवा पेंशनों, मातृत्व लाभ और छात्रवृति जैसी 34 योजनाएं आती हैं; यह खाद्य, स्वास्थ्य सुविधाओं और ईंधन तथा खाद सब्सिडयों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (साविप्र) जैसी तमाम योजनाओं को आधार आधारित नकद हस्तांतरण (आआनह) के अधीन लाने की दिशा में एक कदम है।

Economics and Political Weekly(EPW) editorial on National Food Security Bill

The Hindu-Keshav

There are uncanny parallels between the history of the National Rural Employment Guarantee Act (NREGA) and the course so far of the National Food Security Bill. Both legislations were drafted by the National Advisory Council, tabled in Parliament in a much diluted form, and substantially repaired in response to various agitations and recommendations (including those of a Parliamentary Standing Committee) before being put to vote. The revised version of the National Food Security Bill was recently cleared by the union cabinet and is expected to be discussed in Parliament before the end of the budget session. Like NREGA, the revised food bill is a compromise document that falls short of the initial vision behind it and yet upholds some important entitlements.